Prabhat Times
जालंधर। (Famous Punjabi poet Fatehjit passed away) ‘ऐकम’ ‘कच्ची मिट्टी दे बोणे’ के ज़रिए समाज को नई दिशा देने वाले प्रसिद्ध पंजाबी कवि फतेहजीत का आज अकस्माक निधन हो गया। 83 वर्षीय फतेहजीत पिछले कुछ दिनो से जालंधर के अस्पताल में उपचाराधीन थे। ये दुःखद समाचार प्रसिद्ध कवि एवं लेख फतेहजीत की बेटी बलजीत कौर ने दी।
कविताओं और लेख के ज़रिए समाज और नौजवान पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा देने वाले प्रसिद्ध पंजाबी कवि फतेहजीत को किसी परिचय की जरूरत नहीं है। उनकी काव्यशैली और प्रस्तुतिकरण के चलते पंजाबी कविता के क्षेत्र में विशेष स्थान रखते थे। फतेहजीत का जन्म 3 सितंबर 1938 को लायलपुर (पाकिस्तान) में गुरचरण सिंह बदेशा व सुरजीत कौर दंपत्ति के घर हुई। उनकी मैट्रिक सरकारी स्कूल नंगल अंबीया, जालंधर तथा रणबीर कालेज संगरूर से ऐफ.ए. करके ज्ञानी ओ.टी. पास की। इसके पश्चात बी.ए, फिर एम.एम प्राईवेट पास की। फतेहजीत की शादी रणधीर कौर के साथ हुई। दंपत्ति के तीन बेटियां हैं।
पंजाबी लोक विरासत अकादमी के चेयरमैन तथा फतेहजीत परिवार के नज़दीकी गुरभजन गिल ने फतेहजीत के देहांत पर शोक जताया है। गुरभजन गिल ने कहा कि फतेहजीत रिश्ते सामाजिक ताने बाने तथा मनुष्य के आस्त्तित्व समेत जिंदगी के हर पहलू को संवेदनशीलता तथा खूबसूरत काव्य भाषा से प्रस्तुत करते थे।
बेहद ही शांत स्वभाव के कवि फतेहजीत सिंह ने चार काव्य पुस्तक पंजाबी साहित्य को दी। अमरीका से उनके नज़दीकी शिरोमणी पंजाबी कवि सुखविन्द्र कंबोज ने फतेहजीत दी मौत पर शोक जताया है। उन्होने कहा कि मेरे सहित नकोदर ईलाके के कई नोजवानों को जीवन में आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी।
गुरू नानक देव विश्वविद्यालय के पूर्व वाईस चांसलर श्री सिंह ने कहा कि फतेहजीत सब्र संतोष का प्रतीक थे। जिनकी पलेठी किताब ‘ऐकम’ साल 1967 में प्रकाशित हुई। जब वे लायलपुर खालसा कालेज जालंधर में एम.ए. करते थे। इसके साथ ही उस समय में पंजाबी के चुनिंदा कवियों में शामिल हो गए। उनकी कविता को नौजवान सहित हर वर्ग ने सराहा।
दूसरी किताब ‘कट्टी मिट्टी दे बोणे’ 1973 में तथा 1982 में तीसरी पुस्तक ‘निक्की जेही चाणनी’ प्रकाशित हुई। 2018 में आई चौथी काव्य किताब रेशमी धागे रिश्तों की अहमियत पर सभ्य समाज की सृजना की आशा की बात करती है। इस किताब को रघबीर सिंह सृजना, सुरिन्द्र गिल, रविन्दर भट्ठल, गुरभजन गिल, त्रिलोचन लौची, मनजिन्द्र धनौआ, लखविन्द्र जौहल व बलबीर परवाना ने घर जाकर लोकार्पण किया था।
फतेहजीत के देहांत पर टोरांटो से कुलविन्द्र खैहरा, वरियाम सिंह संधू, प्रिंसीपल सरवण सिंह तथा जागीर सिंह काहलों ने भी शोक जताया है। सुखविन्द्र कंबोज की तरफ से पिता की याद में स्थापित राष्ट्रीय संस्था कलम की तरप से बापू जगीर सिंह कंबोज पुरस्कार से 2019 में सम्मानित किया गया था। प्रसिद्ध कवि फतेहजीत का अंतिम संस्कार शुक्रवार सुबह 11.30 बजे शाहकोट (जालंधर) में होगा।
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