Prabhat Times

प्रीत सूजी

जालंधर। (Punjab Cabinet Reshuffle New Conflict) पंजाब कांग्रेस का विवाद सुलझाना हाईकमान के लिए टेढ़ी खीर साबित हो चुका है। पंजाब में अपना आस्तित्व दोबारा कायम करने के लिए हाईकमान सी.एम. चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में गठित की जा रही सरकार के मंत्रीमंडल से लेकर प्रशासनिक तबादलों में हस्तक्षेप कर रहा है। हालांकि दिन रात हुई बैठकों में कांग्रेस हाईकमान ने हर पहलू पर विचार करने के पश्चात मंत्रीमंडल में हर एक वर्ग को बनता प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की। लेकिन बीते दिन फाईनल हुए मंत्रीमंडल में एक बार फिर पेंच फंसता नज़र आ रहा है। चन्नी कैबिनेट में मंत्रीयो के नाम फाईनल हो चुके है, लेकिन शपथ समारोह से ठीक पहले एक बार फिर कपूरथला से राणा गुरजीत सिंह के नाम पर विवाद पनप चुका है।
सोशल मीडिया पर वॉयरल हो रहे एक पत्र में दोआबा के 6 विधायकों और पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान के हस्ताक्षरयुक्त लैटर वॉयरल हो रहा है। पी.पी.सी.सी. प्रधान नवजोत सिद्धू को लिखे गए पत्र में उक्त नेताओं द्वारा राणा गुरजीत सिंह को मंत्रीमंडल में लिए जाने पर रोष जताया है।

क्या लिखा है पत्र में

पीपीसीसी प्रधान नवजोत सिद्धू को लिखे पत्र में कहा गया है कि राणा गुरजीत सिंह को जनवरी 2018 में मंत्रीमंडल से बाहर कर दिया गया था। राणा गुरजीत पर माईनिंग स्कैंडल में संलिप्तता के गंभीर आरोप रहे हैं। पत्र में यहां तक कहा गाय है कि फिलहाल राणा गुरजीत को किसी भी जांच एजैंसी द्वारा क्लीन चिट नहीं दी गई है। माईनिंग के कांट्रैक्ट लेने के लिए अपने ही जानकारों के नाम पर ठेके भरे गए। खुलासा होने पर सरकार के जमा करवाए गए लगभग 25 करोड़ रूपए भी ज़ब्त किए गए। पत्र में स्पष्ट है कि राणा गुरजीत पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। तो उन्हें मंत्रीमंडल में क्यों लिया जा रहा है।

पढ़ें पीपीसीसी प्रधान को लिखा लैटर

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