Prabhat Times
जालंधर। कोरोना महामारी के दौरान खुद की परवाह न कर मरीज़ों का ईलाज करवाने वाले NHS अस्पताल के डाक्टर और स्टाफ को आज बड़ी राहत मिली है। एक मरीज़ के परिजन द्वारा लगाए गए आरोपों के कारण आहत एन.एच.एस. प्रबंधन ने आज राहत की सांस ली है। जालंधर के सिविल सर्जन द्वारा गठित कमेटी द्वारा की गई निष्पक्ष जांच के बाद अस्पताल प्रबंधन को आरोपमुक्त कर दिया गया है।
बता दें कि कुछ दिन पहले होशियारपुर निवासी कुलवंत सिंह ने एन.एच.एस. अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाए थे। आरोप थे कि अस्पताल में उसके पिता की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव होने के बावजूद उन्हें कोरोना पॉजिटिव पेशेंट बता कर ईलाज के दौरान उनसे लाखों रूपए ऐंठे गए। कुलवंत सिंह ने यहां तक आरोप लगाए कि अस्पताल में मरीज़ों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। इन गंभीर आरोपों की शिकायत सेहत विभाग से की गई। मामले को गंभीरता से लेते हुए सिविल सर्जन जालंधर द्वारा जांच कमेटी गठित की गई।
पता चला है कि आज जांच कमेटी द्वारा रिपोर्ट सौंप दी गई है। जिसमें एन.एच.एस. अस्पताल प्रबंधन व स्टाफ को क्लीन चिट दी है। जांच कमेटी द्वारा बीते दिन अस्पताल जाकर हर आरोप संबंधी गहराई से पूछताछ की गई। बताया जा रहा है कि जांच टीम द्वारा कुलवंत सिंह के पिता में ईलाज अधीन होने के दौरान वहां मौजूद अन्य मरीज़ व उनके परिजनों से बात की। इसके अतिरिक्त अस्पताल का रिकार्ड भी लिया गया।
जांच में पाया गया कि 15 मार्च को कुलवंत के पिता अस्पताल में दाखिल हुए। 17 अप्रैल को उनका टेस्ट करवाया गया। जिसकी रिपोर्ट 18 मार्च को पॉज़िटिव मिली। जांच मे ये तथ्य भी सामने आए कि कुलवंत के पिता को शुरू से ही कोरोना का संदिगध मरीज़ मान कर ईलाज किया जा रहा था।
सिविल सर्जन को पेश की गई रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि कुलवंत के पिता कोरोना पॉजिटिव ही थे। अस्पताल में सरकार द्वारा जारी गाइडलाईंस और हिदायतों के मुताबिक ईलाज किया गया। अस्पताल से मिले रिकार्ड में पाया गया कि कुलवंत ने खुद ही कन्सैंट पेपर भी हस्ताक्षर किए हुए थे। अति सुविज्ञ सूत्रों से पता चला है कि जांच कमेटी द्वारा रिपोर्ट सिविल सर्जन को सौंप दी गई है। जिसमें एन.एच.एस. अस्पताल के क्लीन चिट दी गई है।
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