Prabhat Times
नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा ने कल यानी 18 फरवरी को देशभर में ‘रेल रोको आंदोलन’ (Rail Roko Andolan) का ऐलान किया है. कल दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक किसान (Farmer) देश भर में रेल (Rail) रोकेंगे. सिंघू बॉर्डर (Singhu Border) पर मौजूद किसान नेता मंजीत सिंह धनेर ने कहा कि जो किसान टिकरी, सिंघू और गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे हैं, उनकी रेल रोकने की ड्यूटी नहीं है. जो गांव के लोग हैं वो रेल रोकेंगे.
भारतीय किसान यूनियन (दकौनदा) के प्रधान मंजीत सिंह धनेर से जब पूछा गया कि क्या संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़ा कोई किसान नेता ‘रेल रोको आंदोलन’ में हिस्सा लेगा. इस सवाल के जवाब में मंजीत सिंह ने कहा कि किसान नेताओं को तो जाना चाहिए. बोलने के लिए नेता रेल रोको आंदोलन में हिस्सा ले सकते हैं, लेकिन रेल रोको आंदोलन में वहीं के लोग मौजूद रहेंगे जहां रेल रोकी जाएगी.
उन्होंने कहा कि पिछली बार जब 6 फरवरी को चक्का जाम किया गया था तब दिल्ली, UP और उत्तराखंड को छूट दी गई थी, लेकिन इस बार रेल रोको आंदोलन पूरे देश में चलाया जाएगा. किसानों के ‘रेल रोको आंदोलन’ का मकसद सरकार पर दबाव बनाना है. किसान लगातार मांग कर रहे हैं कि सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले और MSP पर गारंटी कानून बनाये.
जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा कि जिस समय ट्रैफिक सबसे कम होती है, उस समय हमने सड़क जाम किया और इसी प्रकार, दिन में ट्रेन की ट्रैफिक कम होती है क्योंकि लंबी दूरी की ट्रेन ज्यादातर रात में चलती हैं। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पूरा आंदोलन योजना के मुताबिक हो। रेल रोको आंदोलन का मकसद सरकार पर किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने के लिए दबाव बनाना है।
बीच रास्ते में ट्रेनें नहीं रोकी जाएंगी: टिकैत
वहीं, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि, रेल रोको आंदोलन के बीच रास्ते में ट्रेनें नहीं रोकी जाएंगी। टिकैत ने कहा कि किसान इंजन पर फूल चढ़ाकर रेल रोकेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यात्रियों को रास्ते में चाय-नाश्ता भी कराया जाएगा।
रेलवे अलर्ट
वहीं रेल रोको आंदोलन को लेकर रेलवे भी अलर्ट है. जीआरपी और आरपीएफ के जवानों की छुट्टियां भी रद कर दी गई हैं. जानकारी के मुताबिक जहां-जहां आंदोलन का ज्यादा असर पड़ने की संभावना है, वहां पर अतिरिक्त फोर्स तैनात की जाएगी. रेलवे ने आरपीएसएफ की 20 अतिरिक्त कंपनियों को तैनात किया गया है. ये कंपनियां पंजाब, हरियाणा, यूपी और पश्चिम बंगाल में विशेष ध्यान केंद्रित करेंगे.
बेनतीजा रही हैं 11 बैठक
सरकार के साथ किसान नेताओं की 11वें दौर की बातचीत बेनतीजा रही है. सरकार ने किसान यूनियनों को नए कृषि कानूनों के अमल पर 18 महीने तक रोक लगाने का प्रस्ताव और इसके अलावा उनकी मांगों का हल तलाशने के लिए एक कमेटी का भी सुझाव दिया था. लेकिन, आंदोलनकारी किसान संगठन तीनों कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं. सरकार पर दबाव बनाने के लिए ‘रेल रोको आंदोलन’ किया जा रहा है.
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