Prabhat Times
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने मंगलवार को दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन (Farmer Protest) से उत्पन्न स्थिति का समाधान खोजने के प्रयास में तीनों विवादास्पद कानूनों (Farm Laws) के अमल पर रोक लगाने के साथ ही किसानों की शंकाओं और शिकायतों पर विचार करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर दी.
समिति के गठन को लेकर किसान नेताओं का कहना है कि जब तक सरकार कानून वापस नहीं ले लेती तब तक वे प्रदर्शन वापस नहीं लेंगे. इसके साथ ही उनका कहना है कि प्रदर्शन को कहीं और शिफ्ट नहीं किया जाएगा.
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमने कोई कमेटी नहीं मांगी थी, हम कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं. प्रदर्शन को हम कहीं शिफ्ट नहीं करेंगे. सरकार कानून वापस ले उसके बाद ही हम घर जाएंगे. टिकैत ने कहा कि जितेंद्र मान सिंह कौन है, ये हमारे संगठन का नहीं है, हम इन्हें नहीं जानते हैं. हम बैठक करेंगे फिर देखते हैं, कानून वापसी से कम कुछ भी नहीं चाहिए.
किसान नेता राकेश टिकैत ने मंगलवार को स्पष्ट कर दिया कि यह आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि वे किसानों के साथ बातचीत करने के बाद तय करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के पास जाएंगे या नहीं.
किसान नेता टिकैत ने आगे कहा कि यदि सरकार ने जबरदस्ती किसानों को हटाने की कोशिश की तो इसमें दस हजार लोग मारे जा सकते हैं. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कोर्ट के आदेश के बाद कहा, हम किसानों की कमेटी में इसकी चर्चा करेंगे.
15 जनवरी को होने वाली किसान नेताओं और सरकार के बीच बातचीत में भी शामिल होंगे. जो कोर्ट ने कमेटी बनाने की बात की है, उसमें बाद में बताएंगे कि जाएंगे या नहीं, लेकिन आंदोलन जारी रहेगा. जब तक बिल वापस नहीं होगा, तब तक घर वापसी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को दिल्ली में किसान परेड करके रहेगा.
राकेश टिकैत ने आगे कहा कि किसान यहां से अब कहीं नहीं जा रहा है. सरकार का आकलन है कि यहां हटाने पर एक हजार आदमी मारा जा सकता है. यह गलत आकलन है. यदि जबरन हटाने की कोशिश की गई तो यहां 10 हजार आदमी मारा जा सकता है.
टिकैत ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से किसानों को कोई राहत नहीं मिली है. आंदोलन लंबा चलेगा. कोर्ट की तरफ से जारी समिति के नाम में सरकार से बातचीत कर रहे 40 संगठनों में से कोई भी नाम नहीं हैं.
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने मंगलवार को विभिन्न पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगायी जाती है.
पीठ ने साथ ही एक समिति के गठन की भी घोषणा की. इस समिति में भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत, डॉ. प्रमोद जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी को शामिल किया गया है.
किसानों को समिति का सहयोग करने का अनुरोध
वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने सख्त लहजे में कहा कि कोई भी ताकत उसे इस तरह की समिति गठित करने से रोक नही सकती है. साथ ही पीठ ने आंदोलनरत किसान संगठनों से इस समिति के साथ सहयोग करने का अनुरोध भी किया.
न्यायालय द्वारा नियुक्त की जाने वाली समिति के समक्ष आंदोलनरत किसान संगठनों के शामिल नहीं होने संबंधी खबरों के परिप्रेक्ष्य में शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि जो वास्तव में इस समस्या का समाधान चाहते हैं वे समिति के साथ सहयोग करेंगे.
पीठ ने कहा कि हम देश के नागरिकों की जान माल की हिफाजत को लेकर चिंतित हैं और हम इस समस्या को हल करने का प्रयास कर रहे हैं.
न्यायालय ने सुनवाई के दौरान न्यायपालिका और राजनीति में अंतर को भी स्पष्ट किया और किसानों से कहा कि यह राजनीति नहीं है. किसानों को इस समिति के साथ सहयोग करना चाहिए.
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