नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी और इकोनॉमिक अफेयर्स (CCEA- Cabinet Committee on Economic Affairs) की बैठक में आज बड़ा फैसला हुआ है।
मिली जानकारी के मुताबिक, चुनिंदा लोन पर ब्याज माफी को लेकर सहमति बन गई है। हालांकि, सूत्र बता रहे हैं कि केंद्र सरकार अभी इसकी घोषणा नहीं करेगी, क्योंकि ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
आपको बता दें कि लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) के जारिए आप अपनी ईएमआई कुछ समय के लिए रोक सकते हैं।
कोरोना महामारी के दौरान जब बड़ी संख्या में लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे थे तो रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से लोन मोरेटोरियम की पेशकश की गई थी।
लोगों ने मार्च से अगस्त तक मोरेटोरियम योजना यानी किश्त टालने के लिए मिली छूट का लाभ लिया था।
लेकिन उनकी शिकायत थी कि बैंक बकाया राशि पर अतिरिक्त ब्याज यानी ब्याज के ऊपर ब्याज लगा रहे हैं। इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
सूत्रों ने बताया कि सीसीईए की बैठक में आज लोन पर ब्याज माफी को मंजूरी मिल गई है, लेकिन बैठक में चुनिंदा लोन पर ही ब्याज माफी को मंजूरी मिली है।
इसका फायदा 2 करोड़ रुपये तक के लोन लेने वालों को मिलेगा। प्रस्ताव के मुताबिक चुनिंदा लोन के लिए ब्याज पर ब्याज माफ किया जायेगा।
सरकार ब्याज पर ब्याज का Ex gratia Payment करेगी। 2 करोड़ रु तक के लोन की EMI के ब्याज पर ब्याज माफ करने का प्रस्ताव है।
केंद्र को 2 नवंबर तक स्कीम पर सर्कुलर जारी करने का निर्देश
14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार को ब्याज पर ब्याज माफी स्कीम को जल्द से जल्द लागू करना चाहिए। इसके लिए केंद्र को एक महीने का वक्त क्यों चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि अगर सरकार इस पर फैसला ले लेगी तो हम तुरंत आदेश पारित कर देंगे। इस पर सॉलीसीटर जनरल ने कहा कि सभी लोन अलग-अलग तरीके से दिए गए हैं।
इसलिए सभी से अलग-अलग तरीके से निपटना होगा। फिर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि ब्याज पर ब्याज माफी स्कीम को लेकर 2 नवंबर तक सर्कुलर लाया जाए।
इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार 2 नवंबर तक ब्याज पर ब्याज माफी स्कीम को लेकर सर्कुलर जारी कर देगी।
क्या है पूरा मामला
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लगाया था। उस समय उद्योग धंधे पूरी तरह बंद थे।
इसीलिए कारोबारियों और कंपनियों के लिए कई मुश्किलें खड़ी हो गई। कई लोगों की नौकरियां चली गईं। ऐसे में लोन की किस्तें चुकाना मुश्किल था।
ऐसे में रिजर्व बैंक ने लोन मोरेटोरियम की सहूलियत दी थी। यानी लोन पर किस्तें टाल दी गई थीं।
किसी लोन पर मोरेटोरियम का लाभ लेते हुए किस्त नहीं चुकाई तो उस अवधि का ब्याज मूलधन में जुड़ जाएगा, यानी अब मूलधन+ब्याज पर ब्याज लगेगा। इसी ब्याज पर ब्याज का मसला सुप्रीम कोर्ट में है।