नई दिल्ली। RBI Monetary Policy बैठक का फैसला आज आ गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI-Reserve Bank of India) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति कमिटी के नीतिगत फैसले की घोषणा की। ब्याज दरों को यथावत रखा गया है।
आरबीआई ने आज रेपो रेट या रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे ईएमआई चुकाने वालों को किसी तरह की राहत नहीं मिली।
साथ ही ऐलान किया है कि दिसंबर, 2020 से RTGS किसी भी समय भी किया जा सकेगा।
इससे पहले अगस्त में भी नीतिगत समीक्षा में रेपो दरों में कोई बदलाव नहीं किया था।
केंद्रीय बैंक इससे पहले पिछली दो बैठकों में नीतिगत दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती कर चुका है।
MPC ने सर्वसम्मति से ये फैसला किया है कि फिलहाल रेपो दर 4 प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमसीएफ) दर 4.25 प्रतिशत पर बरकरार है।
शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति की समीक्षा के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आरबीआई ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो को 4% पर बरकरार रखा।
उन्होंने कहा कि आरबीआई आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए उदार रुख को बनाए रखेगा। नरम रुख से कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यववस्था को गति देने के लिए जरूरत पड़ने पर नीतिगत दरों में कटौती की जा सकती है।
दास ने कहा कि मैद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दर को यथावत रखने और आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए उदार रुख बनाए रखने के पक्ष में मतदान किया।
उन्होंने कहा कि पहली छमाही में जो पुनरूद्धार देखने को मिला है, वह दूसरी छमाही में और मजबूत होगा। तीसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियां तेज होने की उम्मीद है।
दास ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट पर विराम लगेगा और चौथी तिमाही में यह सकारात्मक दायरे में पहुंच जाएगी।
गवर्नर ने कहा कि एमपीसी ने नॉर्मल रूख कायम रखा। सभी सेक्टर में ग्रोथ सुधर रही है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आरबीआई आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए उदार रुख बनाए रखेगा।
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारतीय अर्थव्यवस्था निणार्यक चरण में प्रवेश कर रही है।
दास ने का कि अर्थव्यवस्था में पहली तिमाही में आई गिरावट पीछे छूट चुकी है, स्थिति में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं।
दास ने कहा कि अंकुश लगाने के बजाय अब अर्थव्यवस्था को उबारने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक मुद्रास्फीति के तय लक्ष्य के दायरे में आ जाने का अनुमान है।
जीडीपी चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक संकुचन के रास्ते से हटकर फिर से वृद्धि के रास्ते पर आ सकती है।
वित्त वर्ष की पहली छमाही के धीमे सुधार को दूसरी छमाही में मिल सकती है गति, तीसरी तिमाही से आर्थिक गतिविधियां बढ़ने लगेंगी।
शक्तिकांत दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी दर में 9.5 प्रतिशत निगेटिव में गिरावट आ सकती है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि रिजर्व बैंक तंत्र में संतोषजनक तरलता की स्थिति बनाये रखेगा।
अगले सप्ताह खुले बाजार परिचालन के तहत 20,000 करोड़ रुपये जारी किये जाएंगे।
मुद्रास्फीति में आया मौजूदा उभार अस्थाई, कृषि परिदृश्य दिख रहा उज्ज्वल, कच्चा तेल की कीमतें दायरे में रहने की उम्मीद है।
तुंरत कोष अंतरण के लिए आरटीजीएस व्यवस्था दिसंबर से 24 घंटे काम करेगी।
एक्सपर्ट्स ने कहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर में बढ़ोतरी की वजह से नीतिगत दर में कमी नहीं करेगा।