कपूरथला। विज्ञान का घेरा इतना विशाल है कि इसमें समाज के बहुत से मुद्दे समाए हुए हैं। इसने हमारी जिंदगी के हर पहलू जैसे जीवन जांच, आर्थिकता और वातावरण को पूरी तरह से प्रभावित किया है।
इस तरफ किए गए अध्ययन इस बात का इशारा करते हैं कि विकसित देशों के लोग चाहे जिसने मर्जी पढ़े-लिखे हों, परंतु वैज्ञानिक सोच पक्ष से खाली हैं।
यदि हम लोगों को वहमों-भ्रमों में से निकालना है और वैज्ञानिक सोच पैदा करनी है तो हमें वैज्ञानिक मुद्दों जैसे जलवायु परिवर्तन आदि का विश्व स्तर पर प्रचार करना पड़ेगा।
लोगों को वैज्ञानिक मुद्दों से अवगत करवाना पड़ेगा। जन-साधारण में वैज्ञानिक सोच पैदा करना समय की मुख्य जरूरत है।
ये शब्द भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्यौगिकी विभाग के सचिव आशुतोष शर्मा ने पुष्पा गुजराल साइंस सिटी ओर से अध्यापक दिवस पर करवाए गए वेबिनार दौरान किया।
इस मौके पंजाब सरकार के प्रमुख सचिव विज्ञान प्रौद्यौगिकी और वातावरण आलोक शेखर आईएएस ने अध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड-19 ने एक बार फिर से हमें वैज्ञानिक संचार की महत्ता का अहसास करवा दिया है।
उन्होंने कहा कि नीतियां बनाने वाले और खोजकर्ता आज यह सोच रहे हैं कि कोविड को हराने के लिए किस तरह का वैज्ञानिक संचार और वैज्ञानिक सोच हो।
आम समाज कोविड से बचने के लिए कैसे नियमों का पालन करे। लोगों को कैसे आसान से आसान भाषा में समझाया जाए।
उन्होंने कहा कि पुष्पा गुजराल साइंस सिटी लोगों की धारणा को बदलने में अहम भूमिका निभा रहा है। यहां आकर लोगों को पता लगता है कि वैज्ञानिक सोच क्या है और उसे रोजमर्रा की जिंदगी में कैसे अपनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि साइंस सिटी में अत्याधुनिक प्रौद्यौगिकी को माडलों के द्वारा दिखाया गया है, जिसका समाज पर बहुत ही साकारात्मक प्रभाव है।
साइंस सिटी की डायरेक्टर जनरल डा. नीलिमा जैरथ ने जानकारी देते कहा बीते 50 सालों में भारत ने विज्ञान और प्रौद्यौगिकी के क्षेत्र में बेतहाशा तरक्की की है।
इस दौरान बहुत सी खोज हुई हैं जो सिर्फ अपनी संस्थाओं तक ही सीमित रह गई हैं। इन खोजों को आगे से नहीं बढ़ाया जाता, इस कारण ही ज्ञान का समाज में संचार न होने की बहुत बड़ी खाई पैदा हो जाती है।
इस खाई को पाटना हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती है। इस गैप को पूरा करने के लिए अध्यापक और विद्यार्थी वर्ग बहुत अहम भूमिका निभा सकता है।
इसलिए यह ज़रूरी है कि आज का विद्यार्थी कल के अच्छे भविष्य के लिए काम करें।
नेशनल कौंसिल आफ विज्ञान म्यूज़ियम के डायरेक्टर जनरल एडी चौधरी ने कहा कि एनसीएसएम के अधीन आते देश के 60 विज्ञान केंद्र लोगों में वैज्ञानिक सोच पैदा करने की तरफ प्रयत्नशील हैं।
उन्होंने कहा कि यह विज्ञान केंद्र समाज में विज्ञान का ज्ञान हासिल करन वालों के लिए एक ब्रिज का काम करते हैं। विज्ञान केंद्र समाज के विकास के लिए एक ऐसा प्लेटफार्म हैं, जहां आम लोगों की सोच वैज्ञानिक बनती है।