जम्मू। पहले ही ढेरों शर्तों के कारण वैष्णो देवी की यात्रा के शुरू होने पर संकट के बादल मंडरा रहे थे कि अब वैष्णो देवी भवन पर तीन कोरोना पाजिटिव मामले सामने आने से हड़कम्प मच गया है। इस कारण अब 16 अगस्त से यात्रा के शुरू होने पर संशय पैदा होने लगा है।
वैष्णो देवी भवन पर एक निजी सुरक्षा एजेंसी के 65 साल के सुरक्षाधिकारी के साथ ही श्राइन बोर्ड के दो कर्मी भी कल कोरोना संक्रमित पाए गए। इसके बाद श्राइन बोर्ड परेशान हो गया है। कारण स्पष्ट है। अनलाक 3 के तहत 16 अगस्त से वैष्णो देवी की यात्रा भी आरंभ होने जा रही है और ऐसे में भवन पर संक्रमितों का मिलना खतरे से कम नहीं माना जा रहा।
हालांकि बोर्ड अधिकारी कहते हैं कि तीन संक्रमितों के संपर्कों की तलाश की जा रही है ताकि संक्रमण को और फैलने से रोका जा सके। जबकि एक जानकारी के मुताबिक, इन तीनों के अधिकतर संपर्क बोर्ड कर्मचारी ही हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पांच महीनों से यात्रा मार्ग पर कोई तीर्थ यात्री नहीं गया है सिवाय बोर्ड कर्मचारियों के।
ऐसे में 16 अगस्त को आरंभ होने वाली यात्रा कितनी सुरक्षित होगी कोई नहीं जानता। प्रशासन ने 5000 लोगों को प्रतिदिन यात्रा की अनुमति प्रदान की है। इनमें 500 प्रदेश के बाहर से भी आ सकते हैं। श्रद्धालुओं के लिए दर्शन आसन नहीं हैं। शर्तों का ढेर है। कोरोना टेस्ट भी करवाना पड़ेगा और भवन पर किसी को रात को रूकने की इजाजत नहीं होगी।
पर अब जबकि भवन पर कोरोना मरीज पाए गए हैं, श्राइन बोर्ड को पूरे यात्रा मार्ग को एक बार फिर सैनिटाइज करने की कवायद छेड़नी पड़ी है। सरकारी आदेश के मुताबिक वैष्णो देवी के दर्शन के लिए उन श्रद्धालुओं को ही यात्रा करने की अनुमति होगी, जिसका कोविड टेस्ट नेगेटिव होगा।
श्रद्धालुओं को कंबल या चादरें ले जाने की इजाजत नहीं होगी। उन्हें दर्शन के बाद भवन में रहने की अनुमति भी नहीं होगी। जम्मू कश्मीर के रेड जिलों से आने वाले श्रद्धालुओं को आवश्यक टेस्ट कराना होगा।
यात्रा मार्ग पर भी टेस्ट की सुविधा होगा। रेंडम टेस्ट होंगे। इतना जरूर था कि भवन पर कोरोना पाजिटिव पाए जाने के बाद दर्शन के इच्छुक लोगों में भय का माहौल जरूर बना हुआ था।