Prabhat Times
कपूरथलाः अविष्कार व सृजनात्मक प्रयास किसी भी देश के आर्थिक विकास और आर्थिकता के लिए चालक का काम करते हैं। बीती सदी में स्वास्थ, आर्थिकता और जीवन की गुणवत्ता में विश्व स्तर पर बेमिसाल तरक्की हुई है। विकसित देश बौद्धिक संपदा के अधिकार पर ही निर्भर करते हैं और इन देशों में यह अधिकार प्रमुख औजार के तौर पर भूमिका निभा रहा है।
इन देशों में प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ लेने, अपने अविष्कार और सृजनात्मक कार्यों पर मालिकाना हक बनाए रखने के लिए हर व्याक्ति पेटेंट, कापी राइट, ट्रेड मार्क भाव संपदा के अधिकार की बहुत जागरूकता के साथ प्रयोग करता है।
ये शब्द पुष्पा गुजराल विज्ञान सिटी की डायरेक्टर जनरल डा. नीलिमा जैरथ ने पुष्पा गुजराल साइंस सिटी और प्रौद्यौगिकी इंफार्मेशन फॉरकास्टिंग एंड असेसमेंट काउंसिल की तरफ से संयुक्त तौर पर बौद्धिक संपदा के अधिकार विषय पर करवाए गए वेबिनार दौरान कहे। प्रौद्योगिकी इंफार्मेशन फॉरकास्टिंग एंड असेसमेंट काउंसिल भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की एक आत्मनिर्भर संस्था है।
इस वेबिनार दौरान 200 के करीब उद्योगपतियों व तकनीकी कालेजों के विद्यार्थियों और अध्यापकों ने हिस्सा लिया। उन्होंने विश्व संपदा अधिकार संकेत-2019 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि भारत सरकार की उत्साहित सकीमा “मैक इन इंडिया, “स्किल इंडिया और अब “आत्म निर्भर’ के सदका भारत पेटेंट फाइल गतिविधियों में दुनिया के चोटी के 10 देशों में गिना जाने लगा है। अब पेटेंट फाइल और पेटैंट लेने की सरगमियों में विस्तार हुआ है।
उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री 4.0 इस बात का गवाह है कि जहां विश्व स्तर पर नए-नए अविष्कारों में विस्तार हुआ है, वहीं ख़ास कर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में बहुत सी चुनौतियां भी हैं। उन्होंने कहा कि उत्पाद उद्योग, उद्योग का बहुत ही महत्वपूर्ण अटूट अंग है और इसने रोज़गार के बहुत से मौके पैदा किये है। इसके साथ ही भारत की जीडीपी में भी इसकी बड़ी सहभागिता है।
इस मौके पर प्रौद्योगिकी इंफार्मेशन फॉरकास्टिंग एंड असेसमेंट काउंसिल के पेटेंट फ़ैसिलटी सैंटर के प्रमुख डा. यशवंत पंवर ने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार की सुरक्षा और अविष्कारों के लिए लोगों को उत्साहित करने हित भारत सरकार की तरफ से बहुत से ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
वेबिनार को संबोधन करते हुए साइंस सिटी के डायरेक्टर डा. राजेश ग्रोवर ने कहा कि यह नाजुक दौर में हमारा नौजवान और ख़ास तौर पर लघु, छोटे और मध्य जैसी उद्योग हमारे सामने आने वाली पेश चुनौतियों का सामना करने को तैयार रहैं।
बौद्धिक संपदा अधिकार की अटार्नी बीतिका शर्मा ने पहले औद्योगिक हवाला देते बताया कि इस दौरान हमारा ध्यान मशीन उत्पादन पर रहा है। इस के बाद अगले भाव दूसरी क्रांति दौरान अविष्कार को बड़े उत्पादों में बदलने और उत्पादों के बिजलीकरन के द्वारा प्रोडक्शन को बढ़ाने पर ज़ोर दिया है।
तीसरे दौर की क्रांति दौरान रॉबिट, कम्प्यूटीकरण और आटोमेशन को मुख्य रखा गया है। अब हम औद्योगिक क्रांति के चौथे दौर में हैं और इस दौरान ट्रेड मार्क, कापी राइट और पेटेंट आदि को बहुत ही प्रमुखता से रोज़गार के मौकों में विस्तार हो रहा है।