नई दिल्ली (ब्यूरो): कोरोना वायरस के कारण पटरी से उतरी देश की अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ के बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा कर दी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पैकेज में हर वर्ग को फायदा मिलेगा। इससे आत्मनिर्भर भारत की शुरूआत होगी।
साथ ही प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि लॉकडाउन-4 की भी तैयारी की जा चुकी है। लॉकडाउन-4 नए रंग रूप से लागू किया जाएगा। इसकी जानकारी 18 मई से पहले दे दी जाएगी।
मोदी ने दिया 2020 में 20 लाख करोड़ का पैकेज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोरोना संकट का सामना करते हुए नए संकल्पके साथ मैं आज विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहा हूं। ये पैकेज आत्मनिर्भर भारत अभियान की अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा।
साथियो हाल में सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी जो आर्थिक घोषणाएं की थी, जो रिज़र्व बैंकके फैसले थे, और आज जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान हो रहा है तो ये करीब 20 लाख करोड़ का है। ये पैकेज भारत की जी.डी.पी.का 10 प्रतिशत है। इन सब के ज़रिए देश के विभिन्न वर्गों को आर्थिक व्यवस्था की 20 लाख करोड़ का स्पोर्ट मिलेगा।
20 लाख करोड़ का पैकेज 2020 में देश की आत्मनिर्भर भारत अभियान को नई प्रगति देगा। आत्मनिर्भर संकल्प को सिद्ध करने के लिए लैंड, लेबर लिक्विडटी इत्यादि पर बल दिया गया है। कल से शुरू करके आने वाले दिनों में वित्त मंत्री द्वारा आत्मनिर्भर अभियान से प्रेरित इसकी जानकारी दी जाएगी। आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए प्रतिबद्धता के साथ देश का आगे बड़ना अनिवार्य है। आपने भी अनुभव किया है पिछले 6 सालों में जो रिफॉर्मस हुए हैं। संकट के इस समय मे भारत की व्यवस्थाएं सक्षम नज़र आई है। कौन सोच सकता था कि सरकार जोपैसे भेजेगी गरीब और किसान की जेब में पहुंच पाएगा। वे भी तब हुआ, जब सरकारी दफ्तर बंद थे, ट्रांसपोर्ट बंद थे। आत्मनिर्भरता आत्मविश्वास से ही संभव है।
समय की मांग है कि भारत हर स्पर्धा में जीते, ग्लोबल सप्लाई चेन में भूमिका निभाई। इसे समझते हुए पैकेज में अनेक प्रावधान दिए हैं। ये संकट इतना बड़ा है कि बड़ी से बड़ी व्यवस्थाएं हिल गई हैं। लेकिन इन्ही परिस्थितियों में हमने देश ने हमारे गरीब भाई बहिनों की संघर्ष शक्ति, संयम शक्ति का भी दर्शन किया है।
हर वर्ग के लिए आर्थिक पैकेज में प्रावधान रहेगा। इस पैकेज में हर इंडस्ट्री को बराबर महत्व दिया गया है। संकट के समय लोकल ने ही बचाया है, डिमांड पूरी की है। लोकल सिर्फ जरूरत नहीं, हम सबकी जिम्मेदारी है। आपको जो ग्लोबल ब्रांडस लगते हैं वे भी कभी लोकल ब्रांडस थे।लेकिन जब लोगों ने इस्तेमाल किया, ब्रांडिंग की प्रचार किया, वो प्रोडक्टस लोकल से ग्लोबल बन गए। आज से हर भारतवासी ने अपने लोकल के लिए वोकल बनना है। न सिर्फ लोकल प्रोडक्टस खरीदने है साथ ही प्रचार भी करना है। विश्वास है कि देश ऐसा कर सकता है। प्रयासों ने हर बार आपके प्रति मेरी श्रद्धा को और बढ़ाया है।
लॉकडाउन-4 में क्या होगा नया रूप, 18 मई से पहले होगा अनाउंस
लॉकडाउन -4 पूरी तरह नए रंग रूप वाला होगा, नए नियमों वाला होगा। राज्यों से हमें जो सुझाव मिल रहे हैं, उनके आधार पर लॉकडाउन-4 से जुड़ी जानकारी आपको 18 मई से पहले दी जाएगी। पूरा भरोसा हैकि नियमों का पालन करते हुए हम कोरोना से लड़ेंगे भी और आगे भी बढ़ेंगे।
लाखों लोग गंवा चुके हैं जान, लाखों संक्रमित
पौणे दो लाख लोगो की मृत्यु हुई है। भारत में भी हर एक परिवारों ने अपने परिजन खोएं हैं। मैं सभी के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। एक वायरस ने दुनिया को तहस नहस कर दिया है। विश्व भर में करोड़ों जिंदगियां संकट का सामना कर रही हैं।
सारी दुनिया जिंदगी बचाने में एक प्रकार से जंग में जुटी हैं। हमनें ऐसा संकट न देखा है, न ही सुना है। निश्चित तौर पर मानव जाति के लिए ये सब कुछ अकल्पनीय है। ये क्राइसिस अभूतपूर्व है, लेकिन थकना, हारना, टूटना, बिखरना मानव को मंजूर नहीं है।सतर्क रहते हुए ऐसी जंग के सभी नियमों का पालन करते हुए हमें बचना भी है और आगे बढ़ना भी है। आज जब दुनिया संकट में है तो हमें अपना संकल्प और मजबूत करना होगा। हमारा संकल्प इस संकट से भी विराट होगा। साथियो हम पिछली शताब्दी से ही लगातार सुनते आएं हैं कि 21वीं सदी की हिंदोस्तान की है। हमें कोरोना से पहले की दुनिया को वैश्विक सुविधाओं को विस्तार से देखने समझने का मौका मिला है।
कोरोना संकट के बाद भी दुनिया में जो स्थितियां बन रही हैं, उसे भी हम निरंतर देख रहे हैंष जब दोनो कालखंडो को भारत के नज़रिए से देखते हैं तो लगता है कि 21वीं सदी भारत की हो ये हमारा सपना ही नहीं, ये हम सभी की जिम्मेदारी भी है। लेकिन इसका मार्ग क्या होगा, विश्व की आज कि स्थिति में सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही है, आत्मनिर्भर भारत।
भारत में बन रही हैं रोजाना 2 लाख पी.पी.ई किट और एन-95 मास्क
साथियो एक राष्ट्र के रूप में आज हमें बहुत अहम मोड़ पर खड़े हैं, इतनी बड़ी आपदा है, भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, एक संदेश लेकर आई है। एक अवसर लेकर आई है। मैं उदाहरण के साथ अपनी बात बताने का प्रयास कर रहा हूं। जब कोरोना संकट शुरू हुआ तो भारत में एक भी पी.पी.ई. किट नहीं बनी थी, एन 95 का भारत में नाममात्र उत्पादन होता था।आज स्थित ये है कि भारत में ही हर रोज 2 लाख पी.पी.ई. किट तथा 2 लाख एन 95 मास्क बनाए जा रहे हैं। ये हम इसलिए कर पाए क्यों कि भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया। आपदा को अवसर में बदलने की भारत की दृष्टि, आत्मनिर्भर हमारे भारत के संकल्प के लिए उतनी ही प्रभावी साबित होने वाली है। आज विश्वर में आत्मनिर्भर के मायने पूरी तरह से बदल गए हैं।
ग्लोबल वर्ल्ड में भी इसका मायना बदला है। भारत की संस्कृति, भारत के संस्कार उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं, जिसकी आत्मा वसुदेव कटुम्बकम है। विश्व एक परिवार है। भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है। तब आत्मकेंद्रीत की वकालत नहीं करता। भारत खुले में शौच से मुक्त होता है तो दुनिया की तस्वीर भी बदलती है। टी.वी. हो, पोलियो, भारत के अभियानों का असर दुनिया पर पड़ता ही है।
इंटरनेशनल योगा दिवस की पहल मानव को तनाव से मुक्ति दिलवाने के लिए भारत का आभार है। जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही दुनिया में आज भारत की दवाइयां एक नईं आशा लेकर पहुंचती हैं। इन कदमों से दुनिया भर में भारत की प्रशंसा होता है। स्वाभाविक है, हर भारतीय गर्व करता है। दुनिया को विश्वास होने लगा है कि भारत बहुत अच्छा करसकता है। मानव जाति के कल्याण के लिए बहुत कुछ अच्छा दे सकता है।
आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लें
सवाल ये है कि आखिर कैसे, इस सवाल का भी उत्तर है। 130 करोड़ देशवासियों का आत्मनिर्भर भारत का संकल्प। साथियों हमारा सदियों का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। भारत जब समृद्ध था, सोने की चिड़िया कहा जाता था। संपन्न था, तो सदैव विश्व कल्याण की राह पर चला। वक्त बदल गया, देश गुलामी की जंजीरो में जकड़ गया। हम विकास के लिए तरसते रहे।
आज फिर भारत विकास की औरसफलता पूर्वक कदम बड़ा रहा है। तब भी विश्व कल्याण की राह पर अटल है। याद करिए इस शताब्दी की शुरूआत के समय वाईटूके संकट आया था। भारतीय एक्सपर्ट ने दुनिया को संकट से निकाला था। हमारे पास साधन है, सामर्थ्य है। दुनिया का सबसे बेहतरीन टैलेंट है। हम क्वालिटी और बेहतर करें, सप्लाई चेन को और आधुनिक बनाएंगे। ये हम कर सकते हैं और हम जरूर करेंगे।
साथियों मैंने अपनी आंखो के सामने, कच्छ भूकंप के वो दिन देखें हैं, हर तरफ सिर्फ मलबा ही मलबा, सब कुछ ध्वस्त हो गया था, ऐसा लगता था कि मानव मौत की चादर औड़ कर सो गया। उस परिस्थिति में कोई सोच भी नहीं सकता था कि कभी हालात बदलेंगे।लेकिन देखते ही देखते कच्छ उठ खड़ा हुआ।
यही हम भारतीयों की संकल्प शक्ति है। हम ठान लें तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं, कोई राह मुश्किल नहीं। और आज तो चाह भी है और राह भी है। ये है भारत को आत्मनिर्भर बनाना। भारत की संकल्प शक्ति ऐसी है कि भारत आत्मनिर्भर बन सकता है। साथियों आत्मनिर्भर कल की इमारत पांच पिल्लर पर खड़ी है। पहला पिल्लर इकोनॉमी, दूसरा इनफ्रास्ट्रक्चर, तीसरा हमारा सिस्टम, चौथा डैमोग्राफी और पांचवा डिमांड है।