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New Delhi नई दिल्ली। (1947 then gold 88rs pure ghee at 2 rupee kg a week ration) 1947 में जब देश आजाद हुआ तब कौन कीमती इतनी कम थीं कि पढ़कर विश्वास ही नहीं होगा. हालांकि तब लोगों की आमदनी भी ज्यादा नहीं थी.

कितने का था पेट्रोल. कितने का खाना-पीना. सोना यानि गोल्ड मिलता केवल 88 रुपए तोला.

दूध मिल जाता था 12 पैसे किलो. जितना दाम पढ़ते जाएंगे, उतना ही हैरान भी होंगे, तो पढ़ डालिए 78 साल की भारत की रेट लिस्ट

आजादी को मिले 78 साल हो चुके हैं. इतने सालों में कम से कम तीन पीढ़ियां बदल चुकी हैं.

उस जमाने में जिस दाम में चीजें मिल जाती हैं, वो तो छुट्टा भी नहीं माना जाता.

सोच भी नहीं सकते कि वो जमाना कितने सस्ते का था जब ढाई रुपए किलो शुद्ध घी मिल जाता था तो 12 पैसे में एक किलो दूध.

90 रुपए में एक साइकल खरीदी जा सकती थी. जो सोना अब एक तोला करीब 99,000 रुपए के आसपास की कीमत में मिलता है, वो तब 88 रुपए तोला मिल जाता था.

1947 में एक रुपये से आप 2–3 किलो गेहूं खरीद सकते थे. आधा किलो शुद्ध घी खरीदकर घर ला सकते थे, 10 किलो से ज्यादा आलू खरीदकर घर में स्टोर कर सकते थे और पूरे हफ़्ते की सब्ज़ी और दाल खरीद सकते थे.

जो साइकिल अब 6000 रुपए से लेकर 9000 रुपए तक मिलती है, वो तब 90 रुपए से 110 रुपए तक मिलती थी और तब साइकल ही स्टेटस सिंबल मानी जाती थी.

स्कूटर और बाइक तब आमतौर पर बहुत कम नजर आती थीं और कार रखने की हैसियत केवल राजा महाराजाओं और बड़े उद्योगपति, व्यापारियों के साथ बड़े वकीलों की ही मानी जाती थी.

डाक – भारतीय पोस्ट डिपार्टमेंट के अनुसार 15 अगस्त 1947 को एक लिफाफे का पोस्टेज शुल्क डेढ़ आना मतलब 09 पैसे था और तब डाकविभाग लिफाफे के वजन को ग्राम में नहीं बल्कि तोले में तोलता था.

हर अतिरिक्त तोले के वजन के साथ लिफाफे का पोस्टेज चार्ज 06 पैसे यानि एक आना बढ़ जाता था.

पोस्टकार्ड की कीमत 06 पैसे थी. अगले दस सालों में इनकी कीमत में बढोतरी तो हुई लेकिन बहुत कम. 1957 तक भारतीय डाक विभाग का वजन का मापक भी तोला ही था.

डालर – डालर की कीमत 1925 तक भारतीय रुपए से कम थी. वो कीमत जानकर आप हैरान हो सकता है. एक डॉलर हमारे .1 रुपए यानि 10 पैसे के बराबर था.

1947 में एक डॉलर 4.16 रुपए के बराबर हो गया. 1965 तक एक डालर 4.75 रुपए के बराबर रहा. फिर बढ़कर 06 रुपए 36 पैसे हो गया.

उसके बाद ये बढ़ने लगा. 1982 में 09 रुपए 46 पैसा हुआ. उसके बाद अब ये कहां है जगजाहिर है.

गोल्ड- भारतीय पोस्ट गोल्ड क्वायन सर्विस के अनुसार 1947 में 10 ग्राम सोने की कीमत 88.62 रुपए थी. अब 44,000 से ऊपर है.

1947 के बाद सोना ऐसी कमोडिटी है जिसके दाम दूसरी सारी चीजों की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़े हैं.

पेट्रोल – फिलहाल पेट्रोल के दाम 95 रुपए से 100 रुपए के आसपास हैं. ये 100 रुपए के ऊपर भी जा चुके हैं. 1947 में इसका दाम केवल 27 पैसे प्रति लीटर थे.

एयर ट्रेवल – आजादी के समय दिल्ली से मुंबई तक उड़ान का टिकट 140 रुपए का था. अब इसकी 5500 रुपए या इससे ज्यादा ही है.

दूध – दूध का दाम तब 12 पैसे लीटर था और अब ये 48 रुपए लीटर या इससे ऊपर हो चुका है.

1947 में प्रकाशित एक विज्ञापन के अनुसार उस समय भारत में आकर बिकने वाली फोर्ड कपंनी की ब्यूक 51 कार की कीमत करीब 13,000 रुपए थी. 1930 में फोर्ड की ए माडल फेटन कार करीब 3000 रुपए कीमत में भारत में बिकती थी.

1947 से अब तक खाने पीने की चीजों के दाम इतने ज्यादा बढ़े हैं कि सोच ही नहीं सकते. मसलन चीनी पहले 40 पैसे किलो बिकती थी, तो आलू 25 पैसे किलो हालांकि गांवों में ये भी सस्ता मिलता था.

आलू और तमाम सब्जियों के दामों में 1947 से लेकर 70 के दशक तक कोई खास बदलाव नहीं हुआ लेकिन उसके बाद ये तेजी से बढ़े. 90 के दशक के बाद दामों में महंगाई के पंख ही लग गए.

यही हाल साबुन और जरूरी चीजों के दामों में नजर आती है. अब कोई भी नार्मल साइज का साबुन 15-20 रुपए से नीचे नहीं मिलेगा तो इनकी कीमतें ब्रांड के हिसाब से और बढ़ जाती हैं.

कौन सोच सकता है कि पहले एक साइकल केवल 20 रुपए तक में आ जाती थी. हालांकि 70 के दशक तक भी साइकिल 150 रुपए तक मिल जाती थी.

सिनेमा के टिकटों के दाम जहां बेतहाशा बढ़े लगते हैं तो न्यूजपेपर के दामों में बाकी चीजों के हिसाब से बहुत ज्यादा बढोतरी नहीं दिखती.

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